नवरात्र व्रत यानि वर्ष में दो बार चक्रसाधना का अवसर

           हर वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल नवमी तक तथा आश्विन शुक्ल एकम से आश्विन शुक्ल नवमी तक नवरात्र पर्व मनाया जाता है। नवरात्र के नो दिनों में प्रत्येक दिन देवी के अलग रुप की पूजा अर्चना की जाती है। प्रत्येक देवी का स्वरुप,पूजाविधि व फल अलग अलग  कहे गए हैं। इन नौ देवियों के नाम क्रमशः शैलपुत्री ,ब्रह्मचारणी ,चंद्रघंटा ,कुष्मांडा ,स्कंदमाता ,कात्यायनी ,कालरात्रि ,महागौरी व सिद्धिदात्री हैं। मैं पिछले कई वर्षों से लगभग हर वर्ष नवरात्र के व्रत करता हूं। ये व्रत मैंने क्यों शुरु किए और किस वर्ष से शुरु किए इसकी…

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संतों की वाणी –ओशो

मेरे पास लोग आते हैं। वे कहते हैं कि ‘ध्यान असम्भव है। घर में करने बैठते हैं तो पत्नी जोर से थालियां गिराने  लगती है ,बर्तन तोड़ने लगती है ,बच्चे शोरगुल मचाने लगते हैं ,ट्रेन निकल जाती है ,रास्ते पर कारें हॉर्न बजाती हैं —–ध्यान करना बहुत मुश्किल है ,सुविधा नहीं है। ‘तुम ध्यान जानते ही नहीं। ध्यान का यह अर्थ नहीं है कि पत्नी बर्तन न  गिराए ,बच्चे रोएं न ,सड़क से गाड़ियां न निकले ,ट्रेन न निकले ,हवाई जहाज न गुजरे। अगर तुम्हारे ध्यान का ऐसा मतलब है ,तब तो तुम अकेले बचो तभी ध्यान हो सकता है —-पशु…

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संतो की वाणी –परमहंस श्रीरामकृष्णदेव जी

परमहंस श्री रामकृष्णदेव ज़ी का जन्म 16 फ़रवरी 1836 इस्वी को कलकते से 60 मील उत्तर पश्चिम में स्थित एक छोटे से गांव कामारपुकुर में  हुआ था। श्री रामकृष्णदेव  ने गांव की पाठशाला में ही थोड़ी बहुत पढाई की थी। वे ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे। लेकिन उनकी मेधा इतनी प्रखर थी की दो शताब्दी  बाद भी  लाखों पढ़े -लिखे लोग उनके ज्ञान से अपने जीवन पथ को आलोकित करते हैं  और अपनी कठिन से कठिन समस्याओं  का समाधान पाते  हैं। उनके जीवन काल में भी उनके पढ़े लिखे शिष्यों की संख्या कम नहीं थी।  उनके पिता श्री क्षुदिराम चटोपाध्याय …

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Karma theory in new words-Sadhguru Jaggi Vasudev

An efficient astrologer can give readings in case of a person never seen by him and a  good amount of readings given by him prove accurate.It clearly proves that he has not made his destiny.It was already made.His destiny is made by his karma i.e what he has done not only  in this life but also in past lives. Karma theory has been explained by many authors.Sh K N Rao has beautifully explained it in his book “Karma and Rebirth in Hindu Astrology”. He has also given many examples with horoscopes which form an interesting and instructing reading for all…

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संतोँ की वाणी —-शिवपुरी बाबा

शिवपुरी बाबा भारत के एक  महान  संत थे। इनका  जन्म केरल के एक ब्राह्मण परिवार में 1826 ईस्वी में हुआ था। उनकी मृत्यु 28 जनवरी 1963 को हुई थी। इस प्रकार वे लगभग 137  वर्ष तक जीवित रहे।यह हमारा सौभाग्य है की उनकी जीवन कथा हमें आज भी एक पुस्तक के रूप में उपलब्ध है। (Long Pilgrimage:The life and teaching of Sri Govindananda Bharti known as the Shivpuri Baba London:Hodder &Stoughton,1965–Bennet John G ,with Thakur Lal Manandhar) उनके दादा श्री एक ज्योतषी थे। वे स्वयं भी नर्मदा नदी के तट पर ईश्वर की तलाश कर रहे थे। वे चाहते थे…

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संतों की वाणी—ओशो

संतों की वाणी हमारी वेबसाइट का एक नया प्रयास है। इस के अंतर्गत हर माह हम किसी न किसी संत की वाणी प्रस्तुत करेंगे। भारतीय  संतों की जीवनी भी प्रकशित की जाएगी। यह कालम  इसलिए शुरू किया जा रहा है ताकि पाठकगण भारत के महान संतों और उनके विचारों से परिचित हो सकें।हमारा विश्वास है की नई पीढ़ी के लिए यह कालम बहुत उपयोगी रहेगा व पुरानी पीढ़ी भी उत्सुकता से इसका  इंतजार करेगी। वैसे भी आध्यात्मिकता का प्रचार प्रसार व लोगों को शुद्ध व सात्विक जीवन जीने के लिए प्रेरित करना हमारी वेबसाइट के घोषित उद्देष्यों में से एक…

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भारतीय जनजीवन व ज्योतिष

                                                                        (1 )         सूर्य  एक राशि की परिक्रमा लगभग 30 .44 दिन में पूरी करता है जिसे सौर मास कहा जाता है ! इस प्रकार बारह राशिओं की परिक्रमा पूरी करने में सूर्य को 365..28  दिन का समय लगता है जिसे सौर वर्ष कहा जाता है ! चंद्रमा को बारह राशिओ की परिक्रमा पूरी करने में लगभग 29 .53 दिन का…

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How to lessen the effects of Our Bad Karmas

The Law of Karma states that all our Karma boomerang on us and we are bound to face the consequences of the Karmas done by us. However many methods of improving the effects of Karmas already done by us have been prescribed in various books and Hindu Shastras. Some of these methods are summarized below for the benefit of the readers. These methods are perhaps the best remedial measures for propitiation of planets. Book entitled “Karma and reincarnation in Hinduism” of Swami Narayan Samparday (Chapter six ) describes following eight factors which affect the principle of Karma – Auspicious place: The place…

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