संतों की वाणी –ओशो

मेरे पास लोग आते हैं। वे कहते हैं कि ‘ध्यान असम्भव है। घर में करने बैठते हैं तो पत्नी जोर से थालियां गिराने  लगती है ,बर्तन तोड़ने लगती है ,बच्चे शोरगुल मचाने लगते हैं ,ट्रेन निकल जाती है ,रास्ते पर कारें हॉर्न बजाती हैं —–ध्यान करना बहुत मुश्किल है ,सुविधा नहीं है। ‘तुम ध्यान जानते ही नहीं। ध्यान का यह अर्थ नहीं है कि पत्नी बर्तन न  गिराए ,बच्चे रोएं न ,सड़क से गाड़ियां न निकले ,ट्रेन न निकले ,हवाई जहाज न गुजरे। अगर तुम्हारे ध्यान का ऐसा मतलब है ,तब तो तुम अकेले बचो तभी ध्यान हो सकता है —-पशु…

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