श्री भगवंत सिंह मान ने 16 मार्च 2022 को पंजाब के 25 वें मुख्यमन्त्री के रूप में शपथ ली। 13 बज कर 22 मिनट पर राष्ट्र गान के साथ समारोह शुरू हुआ और 13 बज कर 26 मिनट पर संपन्न हो गया। इस लेख में शपथ ग्रहण का समय 13 बज कर 24 मिनट लिया गया है। राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित को तकरीबन 50 मिनट तक मुख्यमन्त्री का इंतजार करना पड़ा। समारोह शहीद भगतसिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में आयोजित किया गया था। यदि हम पञ्चाङ्ग की बात करें तो उस दिन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी थी जिसे ज्योतिष शास्त्र में जया तिथि के रूप में जाना जाता है। यह तिथि शपथ लेने के लिए और नया काम करने के लिए शुभ मानी जाती है। यह समारोह दिन के पहले त्रिभाग में आयोजित किया गया था। शुक्ल पक्ष की तिथियों में पहले त्रिभाग को शुभ माना जाता है। त्रयोदशी तिथि के स्वामी कामदेव माने जाते हैं। इस तिथि को जयाप्रदा कहा जाता है। यह तिथि विजय दिलाने वाली होति है। शपथग्रहण समारोह मघा नक्षत्र में हुआ है। मघा नक्षत्र क्रूर व आक्रमक होता है। यह एक अधोमुखी नक्षत्र भी है। ज्योतिष ग्रंथों में इसे शपथग्रहण समारोह के लिए शुभ नहीं माना गया है। श्री भगवंत सिंह मान का जन्म ,आर्द्रा नक्षत्र में हुआ है जबकि शपथग्रहण समारोह मघा नक्षत्र (जन्म नक्षत्र से पांचवां नक्षत्र ) में हुआ है जो कि शुभ नहीं है। श्री भगवंत मान को मुख्यमंत्री के रूप में बहुत रुकावटों व विरोध का सामना करना पड़ेगा। बुधवार ,धृति योग व तैतिल करण पञ्चाङ्ग मापदंड की दृष्टि से बुरे नहीं हैं। वैसे शपथ ग्रहण के लिए रविवार, सोमवार ,बृहस्पतिवार व शुक्रवार ज्यादा अच्छे माने गए हैं। कुल मिलाकर पंचांग मापदण्ड इतने अच्छे नहीं हैं और मुख्यमंत्री जी को अपनी सफलता का मार्ग रुकावटों और विरोध में से निकालना पड़ेगा।
वैसे तो एक कहावत है कि कोई भी मुहूर्त बिल्कुल शुभ नहीं होता। व्यावहारिक जीवन में मुहूर्त सिद्धान्तों के साथ कुछ समझोता करना पड़ता है। फिर भी क्योंकि हम मुहूर्त कुंडली पर विचार कर रहे हैं तो इस मुहूर्त कुंडली के बारे में निम्नलिखित बातों पर विचार कर लेना उपयोगी होगा।
(1 ) लग्न कुंडली में केन्द्र में कोई शुभ ग्रह नहीं हैं। नवांश में लग्न में गुरु व शुक्र शुभ ग्रह हैं पर वे छटे व आंठवे भाव के स्वामी भी हैं। दशमांश में शनि -सूर्य का समसप्तक होना सरकार के लिए शुभ नहीं है। किसी महत्वपूर्ण मंत्री की मृत्यु भी हो सकती है। असामाजिक तत्व भी कुछ संकट उत्पन्न कर सकते हैं।
(2) लग्न मिथुन राशि में है। शीर्षोदय राशि होने के कारण शुभ है। लग्नेश का नवम भाव में होना भी शुभ है। पर नवांश में लग्न कुंडली के द्वादश भाव का उदय होना अच्छा नहीं है। कुंडली के द्वादश भाव में राहू का होना भी शुभ नहीं है। सरकार को प्रशासनिक खर्चों पर नज़र रखनी होगी और अपनी गुप्तचर व्यवस्था को मज़बूत करना पड़ेगा।
(3) सप्तमेश व दशमेश गुरु का अस्त होना और षड्बल में कमजोर होना शुभ नहीं है। दशमेश पापग्रहों के मध्य में भी है। यह दिखाता है कि सरकार अपने कुछ फैसलों को मजबूती से लागु नहीं कर पाएगी।पहले लगभग दो वर्षों के कार्यकाल में मुख्यमन्त्री जी को सरकार चलाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
(4) शपथ कुंडली में आठवें भाव में कोई भी ग्रह शुभ नहीं माना गया है। शपथ कुंडली में आठवें भाव में शुक्र ,शनि व मंगल का बैठना शुभ नहीं है। शुक्र का मंगल और शनि के बीच में होना और भी अशुभ है। इस युति से छात्राओं व महिला कलाकारों के प्रति अपराधों व अनैतिक कार्यों में बढ़ोतरी हो सकती है। पीड़ित शुक्र होने से अचानक कोई बड़ी आर्थिक घपलेबाज़ी या स्कैम भी उजागर हो सकता है। आठवें भाव से शनि व मंगल कि दूसरे भाव पर दृष्टि भी शुभ नहीं है।
(5) सूर्य को राजनीति का मुख्य ग्रह माना जाता है। लेकिन शपथ कुंडली में यह मीन राशि में होने से शुभ नहीं है। कुल मिलाकर यह मध्यम फलदाई है। जैसा की पहले बताया जा चुका है किसी महत्वपूर्ण मंत्री की मृत्यु हो सकती है या किसी बड़े राज्याधिआरी या मंत्री को असम्मानजनक परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
(6) ज्योतिष शास्त्र में शपथ कुंडली से भविष्य जानने के लिए सिंहासन चक्र या पंच नाड़ी चक्र का प्रयोग भी किया जाता है। पंच नाड़ी चक्र में ग्रहों की स्थिति देखने से पता चलता है कि चन्द्रमां आधार नाड़ी में है परन्तु शपथ कुंडली में सिंह राशि में बैठ कर दो शुभ ग्रहों गुरु व बुध से दृष्ट है। इसका अर्थ ये है कि मुख्यमन्त्री फैसलें जन प्रतिनिधिओं व अपने हाई कमाण्ड से सलाह लेकर करेंगे।
सिंह नाड़ी में शुक्र ,बुध व मंगल हैं। सरकार जनकल्याण के कार्य करेगी पर कुछ कार्यों के करने में बहुत दिक्क़तें आएंगी।
शनि की स्थिति पंच नाड़ी चक्र में ठीक नहीं है। शनि सिंहासन नाड़ी में मंगल के नक्षत्र में शुभ नहीं होता। शनि आठवें भाव में मंगल के साथ है और वहां से दसवें भाव को देखता है जहां सूर्य पहले ही विराजमान है। यह बहुत अशुभ स्थिति है। शनि केवल लोकतंत्र का ग्रह ही नहीं है ,यह मृत्यु तथा विंध्वंस का ग्रह भी है। प्रशासन व सरकार के उच्चस्थ पदों पर बैठे लोगों को अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति सदैव सजग रहना होगा।
पंच नाड़ी चक्र में पात नाड़ी मंत्रिपरिषद को दर्शाती है। शपथ कुंडली का लग्न ,सूर्य ,गुरु ,राहु व केतु पात नाड़ी में हैं। जब भी मंत्रीमंडल का विस्तार होगा तो या तो अनुसूचित जाति के किन्ही अन्य विधायकों को या एक मात्र मुस्लिम विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाएगा। अब भी दस मंत्रियों में से चार मंत्री अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखते हैं।
(7) नवम भाव में गुरु और बुध मिलकर हल्के राजयोग का निर्माण कर रहे हैं और द्वितीयेश चन्द्रमां द्वारा दृस्ट होने से कमजोर धनयोग भी बन रहा है। प्रान्त में कुल मिलाकर साम्प्रदायक महौल ठीक रहेगा और सरकार प्रान्त की आर्थिक स्थिति सुधारने का प्रयास करेगी। द्वितीय व एकादश भाव दोनों षड्बल में कमजोर हैं। इसलिए कुल मिलाकर प्रदेश कि आर्थिक स्थिति सरकार के प्रयास के बावजूद कुछ कमजोर ही रहेगी। नवमेश आठवें भाव में अपनी राशि में है और उसके साथ उच्च का मंगल भी है जोकि छठे व एकादश भाव का स्वामी है। अत: किसी पूजास्थल को लेकर कुछ साम्प्रदायक तनाव हो भी सकता है।
(8) केंद्र में कोई भी शुभग्रह न होने से सरकार के कार्यकाल में उसे बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। कार्येकाल शांति से नहीं कटेगा। चन्द्रमां का केतु के नक्षत्र में मंगल से दृष्ट होना शुभ नहीं है। यह सरकार के लिए गण्डमूल व बालारिष्ट जैसा है।
फरवरी 2025 से अक्टूबर 2025 तक शपथ कुंडली में गुरु की दशा रहेगी जो दशमेश होकरअस्त है और षड्बल में कमज़ोर होकर कुम्भ राशि में है जिसमें सामुदायक अष्टकवर्ग में सब से कम बिंदु हैं। गुरुगया सप्तमेश भी है। अत : केन्द्राधिपत्य दोष से युक्त भी है। 29 -03 -2025 से शनि भी चन्द्रमां से आठवें भाव में जन्मस्थ सूर्य के ऊपर से भ्रमण करेगा। उस समय राहु -केतु भी शपथ कुंडली में 4 -10 (मीन -कन्या ) अक्ष पर गोचर कर रहें होंगे। यह समय प्रदेश की सरकार के लिए बहुत मुश्किल समय होगा। ग्रहों के जो संकेत हैं वे लिख दिए हैं। बाकी तो ब्रह्माँ जी ही जानते हैं कि भविष्य में क्या होगा।
यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रदेश में होने वाली घटनायों पर उस प्रदेश कि कुण्डली व उस प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुंडली का भी निश्चित असर पड़ता है। इस लेख में केवल शपथकुंडली का विश्लेषण किया गया है
29 -04 -2022