नौकरी लगने के बाद हर कर्मचारी की स्वाभाविक जिज्ञासा रहती है की मेरी पदोन्नति कब होगी। इस लेख में इसी जिज्ञासा का समाधान करने की कोशिश की गई है। लेकिन एक चेतावनी शुरू में देना आवश्यक है। इस लेख में दिए गए सिद्धान्त तभी लागू किए जाएं जब पदोन्नति का समय नज़दीक हो। जन्मकुण्डली में नवम भाव /नवमेश ,दसम भाव /दशमेश ,सप्तम भाव /सप्तमेश व लग्न /लग्नेश से सम्बन्ध रखने वाले ग्रहों की दशा -अन्तरदशा में आम तौर से पदोन्नति होती है। अचानक या रुकी हुईं पदोन्नति में आठवें भाव /आठवें भाव के स्वामी से सम्बन्धित ग्रहों की दशा -अन्तरदशा भी अनुकूल होती है। जहाँ तक दशमांश का सवाल है तो यह ध्यान रखना आवश्यक है की प्रत्येक वर्ग कुंडली में लग्न व सम्बन्धित भाव की दशा बहुत महत्वपूर्ण होती है जैसे संतान के लिए सप्तमांश का लग्न व पंचम भाव ; जमीन जायदाद के लिए चतुर्थांश का लग्न व चतुर्थ भाव तथा नौकरी व्यवसाय के लिए दशमांश का लग्न व दशम भाव इत्यादि। हमारे ज्योतिष गुरु स्वर्गीय कर्नल श्री अशोक कुमार गौड़ ने हमें बताया था कि व्यवसाय में उन्नति व नौकरी में पदोन्नति दशमांश कुंडली के लग्न व दशम भाव /भावेशों से संबधित ग्रहों कि दशा -अन्तरदशा में होती है। इस लेख में कुछ व्यक्तियों के पदोन्नति के समय उक्त नियम को लागु करके दिखाया गया है। उन व्यक्तियों की निजता का सम्मान करते हुए उनकी केवल जन्म तिथि ही उजागर की गई है। जन्म समय औऱ जन्म का स्थान नहीं दर्शाया गया है।
उदाहरण -1 जन्म तिथि -05 फ़रवरी 1970
यह कुंडली शिक्षा विभाग से सम्बंधित एक कर्मचारी की है। इन्हे 14 जनवरी 1995 को पदोन्नति दी गई। दशा थी राहु -गुरु -राहु (03-01- 5
1995 से 15 -05-1995 तक)। दशमांश में महादशानाथ व प्रत्यन्तर दशानाथ नवम भाव में दशमेश के साथ हैं। अन्तर्दशानाथ गुरु लग्नेश होकर दशमेश को देख रहे हैं। अतः हमारा नियम पूरी तरह लागू होता है।
जन्म कुंडली में बुध दशमेश होकर लग्न में है। दशम स्थान मंगल से भी दृष्ट है। बुध शिक्षा से सम्बन्धित ग्रह है। मंगल के बहुत कारकत्व है। प्रशासन भी उनमें एक है। इस कर्मचारी का कर्तव्य शिक्षाबोर्ड के अधीन विद्यालयों के प्रशासन से सम्बन्धित है जो की ज्योतिष के निमयों पर खरा उतरता है। दशमेश व लग्न के दोनों और शुभ ग्रह हैं। कुंडली का लग्नेश गुरु चंद्रमा के साथ गजकेसरी योग बना रहा है। दशम स्थान पर पंचमेश मंगल की दृष्टि राजयोग का निर्माण कर रही है। नवांश में भी पंचमेश सूर्य दशम भाव को दृष्टि देकर राजयोग का निर्माण कर रहा है। अतः जन्मकुंडली व नवांशकुन्डली के अनुसार पदोन्नति की संभावना भी है। अनुकूल दशा आने पर उसे पदोन्नति मिल गई। जैसा कि प्र्त्येक कुंडली में होता है वैसे ही इस कुंडली की कुछ कमज़ोर कड़ियाँ भी हैं पर उनका विस्तार से वर्णन करना इस लेख का विषय नहीं है।
उदाहरण 2 :- जन्म तिथि 29 नवम्बर 1972
इस कर्मचारी को 25 सितम्बर 2009 को सहायक के पद से निरीक्षक के पद पर पदोन्नत किया गया। दशा 13-09 -2009 से 05 -10 –
2009 तक राहु -मंगल -केतु की थी। इस कुंडली में लग्नेश बुध व सूर्य की युति नौकरी के छटे भाव में है।तीसरा भाव संचार को भी प्रदर्शित करता है। आजीविका से सम्बन्धित दशम भाव व पदप्राप्ति से सम्बन्धित सप्तम भाव के स्वामी गुरु तीसरे भाव पर अपनी नौंवी दृष्टि बनाए हुए हैं। साथ ही गुरु महाराज इलेक्ट्रोनिक संचार से सम्बन्धित राहु से युति किए हुए हैं। दशमांश कुंडली में भी दशमेश तीसरे भाव को दृष्ट कर रहें हैं। जातक दूरसंचार मंत्रालय के डाक विभाग में कार्यरत हैं 1
कुंडली में हंस महापुरुषयोग ,गजकेसरी योग ,सुनफा योग ,उभयचारी योग व काहल योग जैसे शुभ योग हैं। ये सभी योग कुछ समस्यायों के साथ तरक्की की और संकेत करते हैं।
दशमांश कुंडली में महादशानाथ राहु लग्नेश शुक्र को दृष्टि दे रहें हैं। अन्तर्दशानाथ मंगल दशमेश चंद्र को दृष्टि दे रहें हैं। प्रत्यन्तरदशानाथ केतु लग्नेश शुक्र से युति बनाए हुए हैं। इस प्रकार पदोन्नति के मापदण्ड कुंडली पर पूर्ण रूप से लागु होते हैं।
उदाहरण 3 :-जन्म तिथि 30-11 -1952
पदोन्नति की तिथि :-23 -09 -2009.1 दशा थी 24 -06 -2009 से 05 -12 -2009 तक शनि -बुध -शुक्र।
इस कुंडली में जन्म कुंडली व दशमांश कुंडली में लग्न पर मंगल की दृष्टि है। नवांश कुंडली में मंगल लग्नेश है। जातक ने अपनी नौकरी का अधिकतर समय सैना में व्यतीत किया। जन्म कुंडली में शनि ,मंगल व चंद्र उच्च के हैं। कुंडली में अमलकीर्तियोग ,काहल योग व शंख योग इत्यादि शुभ योग हैं।
पदोन्नति के समय महादशानाथ शनि दशमांश कुंडली के लग्नेश सूर्य को दृष्टि दे रहें हैं। अंतरदशानाथ बुध दसवें भाव को दृष्टि दे रहें हैं। प्रत्यन्तर्दशानाथ शुक्र दशमांश कुंडली के लग्न में बैठकर हमारे मापदण्ड को पूर्ण कर रहे हैं।
उदाहरण 4 :-जन्मतिथि 28 -03 -1963
पदोन्नति की तिथि 11-04 -2001 दशा थी। राहु -राहु -शनि 26 -11 -2000 से 01 -05 -2001 तक।
जातक 09 -02 -1983 को एक विभाग में आशुलिपिक के पद भर्ती हुए। 11 -04 -2001 को जब लेखाकार के पद पर इनकी पदोन्नति हुई तो दशा थी राहु -राहु -शनि। दशमांश कुंडली में महादशानाथ व अंतरदशानाथ राहु दशम भाव को देख रहे हैं। प्रत्यन्तर्दशानाथ शनि लग्नेश हैं। दूसरी पदोन्नति 06 -05 -2020 को उपअधीक्षक के पद पर हुई। 09 -04 -2020 से 03 -09 -2020 तक दशा थी गुरु -शनि -शनि की। महादशानाथ गुरु का दशमांश के लग्न या दशम भाव से कोई सम्बन्ध नहीं है। लेकिन दशमांश कुंडली के दशमेश शुक्र गुरु की दूसरी राशि मीन में है तथा अन्तर्दशानाथ व प्रत्यन्तर्दशानाथ शनि दशमांश के लग्नेश हैं।
उदाहरण 5 :- जन्म तिथि 23 जुलाई 1979
जातक की नियुक्ति दूरसंचार विभाग में तकनीशियन के पद पर हुई थी । विभागीय परिक्षा पास करने के बाद 28 जुलाई 2014 को इनकी पदोन्नति जूनियर टेलीकॉम अधिकारी के पद पर हुई। 25 -03 -2014 से 03 -08 -2014 तक इन पर बुध -गुरु -शनि की दशा थी।
दशमांश कुंडली में महादशानाथ बुध दशमेश के साथ तीसरे भाव में हैं। अन्तर्दशानाथ गुरु चौथे भाव में बैठ कर दसवें भाव को दृष्टि दे रहे हैं। प्रत्यन्तर्दशानाथ शनि सप्तम भाव में बैठ कर दशमांश कुंडली के लग्न को दृष्टि दे रहे हैं। इस प्रकार हमारा सूत्र इस कुंडली पर पूर्ण रूप से लागू होता है।
पाठकगणों से अनुरोध है कि वे इस सूत्र को अन्य कुंडलियों पर लागू करके कुंडली के पूर्ण विवरण के साथ हमें अवगत कराएं।