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सूर्य एक राशि की परिक्रमा लगभग 30 .44 दिन में पूरी करता है जिसे सौर मास कहा जाता है ! इस प्रकार बारह राशिओं की परिक्रमा पूरी करने में सूर्य को 365..28 दिन का समय लगता है जिसे सौर वर्ष कहा जाता है ! चंद्रमा को बारह राशिओ की परिक्रमा पूरी करने में लगभग 29 .53 दिन का समय लगता है जिसे चंद्र मास कहा जाता है ! इस प्रकार एक चंद्रवर्ष में 354.36 दिन होते हैं ! सौरवर्ष और चंद्रवर्ष में जो समय का अंतर है उस अंतर को दूर करने के लिए लगभग तीनवर्ष में एक अधिकमास की परिकल्पना की गई है ! इस अधिक मास को मलमास कहा जाता है ! इस बार दो जयेष्ठ है ! अधिकमास का आरंभ16 मई से व अंत 13 जून को होगा !
मलमास में मांगलिक कार्यों का निषेध माना गया है! हिंदू ग्रंथों में एक कथा है की इस बात से दुखी होकर मलमास भगवान विष्णु के पास गया और प्रणाम करके कहने लगा की भगवान न तो मेरा कोई नाम है और न ही कोई स्वामी है ! सब लोग मुझ से घृणा करते हैं ! भगवान विष्णु उसे गोलोक में भगवान कृष्ण के पास ले गए ! भगवन कृष्ण ने मलमास की व्यथा समझ कर मलमास को अपना लिया और उसके स्वामी बन गए ! इस प्रकार मलमास पुरुषोतम मास हो गया ! इस मास में श्रीमद्भागवत कथा ,पूजा ,यज्ञ ,दान अनुष्ठान आदि शुभ कर्म करने का कई गुना फल मिलता है ! लेकिन इस मास में फलप्राप्ति की भावना से किये जाने वाले कर्म यानि विवाह ,गृह प्रवेश ,उपनयन आदि का करना शास्त्र सम्मत नहीं है ! इसप्रकार यह मास निष्काम भक्ति के लिए श्रेष्ठ है !ऐसा करने से पापकर्मों से मुक्ति मिलती है और पुण्य प्राप्त होता है ! इस माह में भगवत कथा श्रवण तथा तीर्थ स्थानों पर स्नान व् दान का विशेष महत्व है ! हिन्दू सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता मुझे यही लगती है की इसमें जीवन के प्रत्येक कार्य , प्रत्येक क्षण व प्रत्येक उत्सव को अध्यात्म से जोड़ दिया गया है ! हर कदम भगवान की और उठता है ,हर रास्ता भगवान की और जाता है और हर कार्य भगवन को ही समर्पित होता है!