स्वतंत्र भारत की कुंडली में मंगल की महादशा 09 सितंबर 2025 से शुरु होगी और 09 सितंबर 2032 तक चलेगी।किसी भी ग्रह की दशा में उस ग्रह के जो गुण या विशेषताएं हैं वे मुख्य रुप से दृष्टिगोचर होती हैं फिर कुंडली चाहें किसी देश की हो चाहें व्यक्ति की। मंगल मेदिनी ज्योतिष में सशत्र सेनाओं ,पुलिस , इंजीनियर्स , अपराधियों ,अग्निशमन कर्मचारियों ,युद्ध ,हिंसा ,विस्फोटक पदार्थों ,शल्य चिकित्सक ,दंत चिकित्सक,दुर्घटना ,अपहरण व दुष्कर्म इत्यादि का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल अचानक प्रभाव दिखाता है और आमतौर पर इसका प्रभाव अशुभ /विनाशकारी होता है। अगर मंगल कुंडली के लिए शुभ प्रभाव वाला हो तो निर्माण के कार्यों में ,लोह व स्टील उद्योग में , शस्त्र निर्माण में ,नई मशीनरी के निर्माण में प्रगति को दर्शाता है।
भारत की लग्न कुंडली में मंगल द्वादश व सप्तम भाव का स्वामी होकर द्वितीय भाव में है। जातक ज्योतिष के नियमानुसार मंगल स्वतंत्र भारत की कुंडली के लिए प्रबल मारकेश है । पंचम,अष्टम व नवम भाव पर मंगल की दृष्टि है। सप्तमेश व द्वादशेश मंगल पर छटे भाव से अष्टमेश व एकादशेश गुरु की दृष्टि है ।इस प्रकार गुरु की दृष्टि भी नेसर्गिक शुभता को खो रही है। नवांश में मंगल नवम भाव का स्वामी होकर दशम भाव में गुरु की राशि में है और गुरु तृतीय भाव से नवम भाव को देख रहा है जहां मंगल की वृश्चिक राशि है।इस प्रकार नवांश में गुरु और मंगल आपस में संबन्धित हैं।नवांश में दोनों ग्रह बेहतर स्थिति में हैं। यह मिश्रित प्रभाव को इंगित करता है। मंगल की दशा में शुभ /अशुभ दोनों तरह के प्रभाव दृष्टिगोचर होंगे।
गुरु दृष्ट मंगल की यह स्थिति विदेश के मामलों में ,राज्यों के आपसी सम्बन्धों के मामले में ,आर्थिक मामलों में , सीमावर्ती मामलों में तथा देश की राजनैतिक स्थिति में जटिलता की स्थिति को प्रकट करती है। मंगल की महादशा में कुछ राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन हो सकता है या किसी नए राज्य का गठन हो सकता है।किसी बैंक में कोई बड़ा घोटाला सामने आ सकता है या कोई बैंक बंद हो सकता है। भारत की आर्थिक विकास दर में कमी आ सकती है। राजनिति के क्षेत्र में नए नए गठबन्धन बनने /बिगड़ने की संभावना है। देश की आर्थिक स्थिति में उतार चढ़ाव रहेगा। रक्षा बजट में बढ़ोतरी होगी।हिंसा, आगजनी और विष्फोट आदि की घटनाओं की संख्या व मृत्यु दर में वृद्धि होगी। मुद्रा विनिमय दर व स्टॉक मार्किट में स्थिति परिवर्तनशील रहेगी। शिक्षा और मनोरंजन के क्षेत्र में अशांति रहेगी और इन क्षेत्रों में प्रगति दर भी संतोषजनक नहीं होगी। अष्टमेश से दृष्ट होने के कारण जनता के कष्टों में वृद्धि होगी।
गुरु की अंतर्दशा में (24 -02 -2027 से 31-01-2028 तक) किसी राष्ट्रीय नेता की मृत्यु हो सकती है।शनि भारत की कुंडली के लिए योगकारक ग्रह है। शनि की अंतर्दशा 31 -01 -2028 से 10 -03 -2029 तक चलेगी। ज्योतिष शास्त्र का एक सिद्धांत यह भी है कि एक अशुभ ग्रह की महादशा में योगकारक ग्रह की अंतर्दशा अत्यंत शुभ होती है। अतः शनि की अंतर्दशा में भारत में बहुत बड़ी घटना घट सकती है और उससे भारत की छवि प्रभावित हो सकती है। सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहना चाहिए तांकि असामाजिक तत्व भारत के साम्प्रदायिक वातावरण को दूषित न कर सकें। केतु की अंतर्दशा में मार्च 2030 सेअगस्त 2030 तक संघर्ष और अशांति का माहौल रहेगा। मंगल छद्म युद्ध (proxy war),आतंकवाद ,हिंसा ,आगजनी,बलात्कार व दुर्घटना आदि को इंगित करता है। अतः ऐसी घटनाओं में वृद्धि की संभावना है।
मेदिनी ज्योतिष के सिद्धांतों के अनुसार मंगल की राहु या /व शनि के साथ युति होने पर बहुत बुरे परिणाम प्राप्त होते हैं जैसे युद्ध ,विद्रोह ,भूकंप ,महामारी ,जनांदोलन व आंतकवाद आदि। मार्च -अप्रैल 2026 में कुम्भ राशि में मंगल -राहु की युति होगी जो स्वतंत्र भारत की कुंडली का दसवां भाव है। इस समय भारत के राजनैतिक पटल पर कोई महत्वपूर्ण घटना घट सकती है।मई 2026 में मीन राशि में मंगल -शनि की युति होगी। उस समय अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत को कोई झटका लगने की संभावना है।
अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रभाव बना रहेगा और अंतराष्ट्रीय सहयोग भी भारत को मिलता रहेगा। मेक इन इंडिया की औद्योगिक इकाइयों में वृद्धि होगी।पुराने अनुबंधों में संशोघन और कुछ नए अनुबंध (Treaties) होने की संभावना है।सर्वोच्च न्यायालय के कुछ महत्वपूर्ण फैसलों से जनता पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान भी बढ़ेगा। उच्च शिक्षित लोगों की संख्या में वृद्धि होगी। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि की आशा है।सर्जरी , इंजीनियरिंग ,उद्योग ,निर्माण, स्पेस इंजीनियरिंग,शस्त्र निर्माण व खनिज पदार्थ इत्यादि के क्षेत्र में भारत अच्छी प्रगति करेगा।
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि मंगल अपनी दशा में भारत का कोई खास मंगल करने वाला नहीं है।