मेरे पास लोग आते हैं। वे कहते हैं कि ‘ध्यान असम्भव है। घर में करने बैठते हैं तो पत्नी जोर से थालियां गिराने लगती है ,बर्तन तोड़ने लगती है ,बच्चे शोरगुल मचाने लगते हैं ,ट्रेन निकल जाती है ,रास्ते पर कारें हॉर्न बजाती हैं —–ध्यान करना बहुत मुश्किल है ,सुविधा नहीं है। ‘तुम ध्यान जानते ही नहीं। ध्यान का यह अर्थ नहीं है कि पत्नी बर्तन न गिराए ,बच्चे रोएं न ,सड़क से गाड़ियां न निकले ,ट्रेन न निकले ,हवाई जहाज न गुजरे। अगर तुम्हारे ध्यान का ऐसा मतलब है ,तब तो तुम अकेले बचो तभी ध्यान हो सकता है —-पशु…
परमहंस श्री रामकृष्णदेव ज़ी का जन्म 16 फ़रवरी 1836 इस्वी को कलकते से 60 मील उत्तर पश्चिम में स्थित एक छोटे से गांव कामारपुकुर में हुआ था। श्री रामकृष्णदेव ने गांव की पाठशाला में ही थोड़ी बहुत पढाई की थी। वे ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे। लेकिन उनकी मेधा इतनी प्रखर थी की दो शताब्दी बाद भी लाखों पढ़े -लिखे लोग उनके ज्ञान से अपने जीवन पथ को आलोकित करते हैं और अपनी कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान पाते हैं। उनके जीवन काल में भी उनके पढ़े लिखे शिष्यों की संख्या कम नहीं थी। उनके पिता श्री क्षुदिराम चटोपाध्याय …
शिवपुरी बाबा भारत के एक महान संत थे। इनका जन्म केरल के एक ब्राह्मण परिवार में 1826 ईस्वी में हुआ था। उनकी मृत्यु 28 जनवरी 1963 को हुई थी। इस प्रकार वे लगभग 137 वर्ष तक जीवित रहे।यह हमारा सौभाग्य है की उनकी जीवन कथा हमें आज भी एक पुस्तक के रूप में उपलब्ध है। (Long Pilgrimage:The life and teaching of Sri Govindananda Bharti known as the Shivpuri Baba London:Hodder &Stoughton,1965–Bennet John G ,with Thakur Lal Manandhar) उनके दादा श्री एक ज्योतषी थे। वे स्वयं भी नर्मदा नदी के तट पर ईश्वर की तलाश कर रहे थे। वे चाहते थे…
संतों की वाणी हमारी वेबसाइट का एक नया प्रयास है। इस के अंतर्गत हर माह हम किसी न किसी संत की वाणी प्रस्तुत करेंगे। भारतीय संतों की जीवनी भी प्रकशित की जाएगी। यह कालम इसलिए शुरू किया जा रहा है ताकि पाठकगण भारत के महान संतों और उनके विचारों से परिचित हो सकें।हमारा विश्वास है की नई पीढ़ी के लिए यह कालम बहुत उपयोगी रहेगा व पुरानी पीढ़ी भी उत्सुकता से इसका इंतजार करेगी। वैसे भी आध्यात्मिकता का प्रचार प्रसार व लोगों को शुद्ध व सात्विक जीवन जीने के लिए प्रेरित करना हमारी वेबसाइट के घोषित उद्देष्यों में से एक…