भारतवर्ष 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ। 15 अगस्त 2025 को स्वत्तत्र भारत का 79 वां वर्ष शुरु होगा। आइए वर्षफल के सिद्धांतों के अनुसार देखते हैं कि यह वर्ष भारतवर्ष के लिए कैसा होगा।वर्ष प्रवेश 14 अगस्त 2025 को 23 बजकर 54 मिनट 39 सैकंड बजे बनता है। इस डाटा को लेकर चार्ट बनाया तो निम्नलिखित कुन्डली बनती है।
मुंथा राशि वृश्चिक में पड़ती है। मुंथा का स्वामी मंगल है जो पांचवे भाव में बुध की कन्या राशि में स्थित है। शनि से दृष्ट है । मुंथा वर्ष कुंडली के सातवें भाव में होने से अशुभ है ओर मुंथा पति मंगल भी मित्र राशि में नहीं हैऔर उस पर शनि की शत्रु दृष्टि भी है। अतः मुंथा और मुंथेश शुभ फ़लदायी नहीं हैं। यह लोगों में मतभेद पैदा होने व अन्तर राष्ट्रीय स्तर पर परस्पर संबंधों में हानि देने वाला होगा। लोगों का स्वास्थय अच्छा नहीं रहेगा। देश के नेताओं को भी अपने स्वास्थय के प्रति ज्यादा सचेत रहना होगा। देश के नेताओं की चिंता बढ़ेगी। सत्तादल को घटक दलों से अच्छे सम्बन्ध रखने में दिक्कत रहेगी। देश की आर्थिक प्रगति में भी कुछ कमी आ सकती है।कुछ फिजूल खर्ची भी करनी पड़ सकती है जैसे युद्ध के समय या प्राकृतिक आपदा के समय। मुंथापति मंगल व अष्टमेश बृहस्पति एक दूसरे से केंद्र में होने से शत्रु दृष्टि रखते हैं। अतः देश के किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।
जब हम मुद्दा दशा की गणना करते हैं तो निम्नलिखित परिणाम आते हैं —04-09-2025 तक मंगल की दशा। 28 -10 -2025 तक राहु की दशा। 16-12-2025 तक गुरु की दशा।13 -02-2026 तक शनि कीदशा।04-04-2026 तक बुध की दशा।25-04-2026 तक केतु की दशा। 25-06-2026 तक शुक्र की दशा। 13-07-2026 तक सूर्य की दशा।13-08-2026 तक चंद्र की दशाऔर14 -08 -2026 तक मंगल की दशा। यह मुद्दा दशा जन्मकालीन चन्द्रमा के अंशों के अनुसार है। उत्तर कालामृत नामक ग्रंथ में मुद्दा दशा की गणना वर्ष कुंडली के स्पष्ट से करना बताया गया है पर अनुभव में जन्मकालीन चन्द्रमा के अंशों के अनुसार गणना करना अधिक उपयोगी पाया गया है। वैसे वर्षकुण्डली में योगिनी दशा व पत्यानी आदि दशा का प्रयोग भी होता है।
वर्षफल जानने के लिए वर्षेश की गणना करनी बहुत आवश्यक है। वर्षेश की गणना करने से पहले ग्रहों का बल जानना आवश्यक है। वर्षफल के लिए मुख्यतया द्वादशवर्गीय बल ,हर्ष बल और पंचवर्गीय बल का प्रयोग किया जाता है। इनमे पंचवर्गीय बल सर्वाधिक महत्वपूर्ण है और वर्षेश का निर्णय इसी से किया जाता है। विभिन्न ग्रहों का पंचवर्गीय बल गणना करने पर निम्नलिखित पाया गया है :-सूर्य 7. 94 ,चंद्र 12 .45 , मंगल 9. 62, बुध 10.08 , गुरु 10 . 84 , शुक्र 8 .87 ,शनि 7.45.1
वर्षेश का निर्णय पांच ग्रहों के आधार पर किया जाता हैं। उन्हें पंच अधिकारी कहते हैं। वे इस प्रकार से हैं: – 1) जन्म लग्न अधिपति -शुक्र। 2)मुंथा पति -मंगल। 3) वार्षिक कुंडली का लग्नेश -शुक्र। 4) रात्रि पति -मंगल। क्योकि रात्रि के समय की वर्ष कुंडली है। अगर वर्ष कुंडली दिन के समय की हो तो उस राशि का स्वामी जिसमें सूर्ये हो। 5) त्रि-राशि पति – चंद्र। हर लग्न के अलग अलग त्रि-राशि पति होते हैं। एक दिन के जन्म के लिए और एक रात्रि के जन्म के लिए। इस प्रकार तीन ग्रह हुए -चंद्र ,मंगल व शुक्र। चंद्र सबसे बलि है पर वह लग्न को नहीं देखता है। इनमे चंद्र से कम बली मंगल है। मंगल लग्न को देखता है। अतः मंगल वर्षेश हुआ।
वर्षेश मंगल मध्यम बली है। यह मिश्रित फल देगा। दुर्घटनाओँ से ,आगजनी से हानि होगी। विभिन्न धर्मों में और समुदायों में तल्खी बढ़ेगी। चोरी ,मुकदमेबाजी व गम्भीर रोगों की घटनाओं में वृद्धि होगी। परन्तु बुध के साथ इथसिलयोग (Ithasala yoga) बनाने के कारण लोगों की बौद्धिक शक्ति ,शिक्षा ,पत्रकारिता ,व्यवसाय और आमदनी आदि में बढ़ोतरी होगी। वैसे इस योग में बहुत जटिलता है। मंगल और शनि में इशराफ योग है।बुध और चंद्रमा में इथसिलयोग (Ithasala yoga) है। हालाँकि इनकी परस्पर शत्रु दृष्टि है। बुध और शनि में इशराफ योग है।इन जटिलताओं के कारण शुभ फल कम और अशुभ फल अधिक दिखाई देंगे। आम जनता की बुद्धि मलिनता ,क्रोध व कुटिलता में ही लिप्त रहेगी पर कुछ लोगों की बुद्धि असाधारण करिशमाई तरीके से काम करके अपनी असाधारण सफलता से सारे देश को हतप्रभ कर देगी।
चंद्रमा 12वें भाव में है। उस पर मंगल व केतु की पाराशरी दृष्टि है। इस वर्ष आगजनी की अधिक घटनायें होगी। लोगों में बीमारयां भी ज्यादा फैलेंगी।इन सबके बावजूद मुंथा पती व लग्नेश दोनों बलि हैं और मुंथा पति त्रिकोण में और लग्नेश दूसरे भाव में होने के कारण देश की आर्थिक स्थिति ठीक रहेगी।वर्ष कुंडली और स्वतंत्र भारत दोनों का लग्न एक होने के कारण 79वा वर्ष शुभ नहीं होगा।
लग्न स्थिर राशि के पहले द्रेष्कोण में है और वक्री शनि से दृष्ट है। यह अच्छे वर्षफल का संकेत नहीं है। अगर ग्रह बल पर विचार किया जाए तो केवल बुध और गुरु का बल पूरा है। बाकी सभी ग्रह मध्यम बली हैं। यह भी इस बात का संकेत है कि इस वर्ष का फल ज्यादा अच्छा होने के कम आसार है। फिर भी गुरु और बुध के बली होने से शक्तिशाली देशों से हमारी मित्रता रहेगी , हमारा देश अपने मित्रों में लोकप्रिय रहेगा और हमारे देशवासियों की कुशलता बढ़ेगी। ये शुभ फल अक्टूबर से दिसम्बर व फरवरी 2026 से अप्रैल 2026 तक मिलेंगे। आठवें और बारहवें भाव अपने स्वामियों द्वारा दृष्ट होने से इनके फल अधिक मिलेंगे। इन भावों के बलि होने से अध्यात्म और धार्मिक कर्मकांडों में कुछ लोगों की रूचि बढ़ सकती है लेकिन षड्यंत्र ,बुरे और अपराधी किस्म के कार्य ,चोरी ,ठगी और लूटपाट ,एक दूसरे पर दोषारोपण की वृद्धि और सम्पति तथा धन सरकार द्वारा जब्त किए जाने की घटनाओं में वृद्धि होगी।इस वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर धन हानि की संभावना भी दिखती है हालांकि कुल मिला कर देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। भारत का कोई नागरिक ऐसा काम करेगा जिससे भारत माता का नाम रोशन होगा।हमेशा की तरह कुछ पड़ोसी देशों से हमारे सम्बन्ध ठीक नहीं रहेंगे। पर वे हमारे पराक्रम को देखकर दंग रहेंगे। प्रेम प्रसंग / प्रेम विवाह बढ़ेंगे और प्रेम प्रसंग /प्रेम विवाह के सम्बन्धों में षड़यंत्र व हत्यायें भी। स्त्रियों में गर्भपात व बच्चों के साथ हिंसात्मक घटनाओं में वृद्धि होगी। चौथे घर में केतु और दसवें घर में राहु सरकार के लिए कुछ समस्यायें पैदा कर सकते हैं। खानों में कोई आपदा ,कानून व्यवस्था की कहीं समस्या या, वायु दुर्घटना परेशानी का कारण हो सकती है। मनोरंजन उद्योग और स्कूलों में आग की घटनाओं के प्रति सभी सम्बन्धित विभागों को पूरी सावधानी बरतनी होगी। बच्चों और महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की घटनाओं में वृद्धि होगी। शनि की विमशोत्तरी मुद्दा दशा में यानि के दिसंबर 2025 से फरवरी के बीच किसी संसद सदस्य की सेहत या सुरक्षा को खतरा हो सकता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेर बदल होगा और पार्टियों के गठबंधन में भी।
स्वतंत्र भारत की कुंडली में भी 09 सितम्बर 2025 से त्रित्येष चंद्रमा की दशा से मारकेश मंगल की दशा शुरू हो रही है। मंगल की दशा में हम समस्यायों के बावजूद एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में और ईंट का जबाब पत्थर से देने की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं।